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आज़माइश नही हुआ करती इश्क़ की ये तो खुद में ही एक व

आज़माइश नही हुआ करती इश्क़ की 
ये तो खुद में ही एक विशवास है
किसी के रोकने से रुक जाना 
और ना रोकने पर चले जाना 
भला ये भी कोई बात है
वह कहते है गिरा देंगे हर दिवार 
जो मेरे और उनके दरमियाँ है 
अगर में बता दू की उसकी वजह क्या है
अब भला इश्क़ के बिच में खड़ी दिवार
कभी किसी बयान से गिरा करती हैं क्या??? आपकी राय क्या है??
आज़माइश नही हुआ करती इश्क़ की 
ये तो खुद में ही एक विशवास है
किसी के रोकने से रुक जाना 
और ना रोकने पर चले जाना 
भला ये भी कोई बात है
वह कहते है गिरा देंगे हर दिवार 
जो मेरे और उनके दरमियाँ है 
अगर में बता दू की उसकी वजह क्या है
अब भला इश्क़ के बिच में खड़ी दिवार
कभी किसी बयान से गिरा करती हैं क्या??? आपकी राय क्या है??

आपकी राय क्या है??