बचपन का पहला प्यार ये तो होनी थी जिसको होना था । हमको मिलना था , दूर जाना था । प्यार के गहरे नीले सागर में, मेरी किश्ती को डूब जाना था । उसके बाजू में दवाखाना था । मेरी बीमारी तो बहाना था । मेरी दीदी की वो सहेली थी, इसलिये घर पे आना-जाना था । मेरी किस्मत का डूबा सूरज भी, दोपहर की तरह चमकता था । क्या कहें ये भी तो मुकद्दर था , कुछ चमकना था डूब जाना था । खत वो सखियों से पूछ लिखती थी, मैं भी यारों से पूछ लिखता था । शे'र लिक्खा किये थे "गालिब" के इसलिये लहजा शायराना था । आँधी तूफां को करके अनदेखा , वो चली आती भींगी भागी सी । दरअसल हमको मिलना होता था, पाठशाला तो इक बहाना था । #पाठशालातोइकबहानाथा