जनहित की रामायण - 82 जीएसटी 'कर' की दरें है ज्यादा ! बदलें गर हम 'कर' होगा आधा !! तीन चौथाई भरा नहीं जाता ! जन जन का नेक नहीं इरादा !! जनकोष में आये एक चौथाई ! फिर 'कर' दर कम कैसे हो भाई ! क्या तीन चौथाई चोरी रुकेगी, हाँ, जब हमरी प्रवृत्ति बदलेगी !! बड़े फुटकर विक्रेता का होता सवाल, क्या जीएसटी की ग्राहक को है दरकार ! बग़ैर जीएसटी धड़ल्ले से करत व्यापार, कर्मी की कमी का रोना रोये सरकार !! कलम दे रही सही कई सुझाव, मिटेगा सभी सांचों का तनाव ! प्रवृत्ति बदलें हम 'कर' सही भरें, देश विकास से हो सबका लगाव !! मानसिकता से बदलेगा कुछ न कुछ, दंड से बदल सकता बहुत कुछ ! चोरी उजागरण में ईनाम करें घोषित, घोषित हो तो करें दिनरात प्रचारित !! -आवेश हिंदुस्तानी 07.07.2022 ©Ashok Mangal #SunSet #AaveshVaani #JanhitKiRamayan #JanMannKiBaat