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माँ नहीं हूँ नहीं समझ सकता माँ के दुख माँ एक औरत क

माँ नहीं हूँ
नहीं समझ सकता
माँ के दुख माँ एक औरत के रूप में हर रिश्ता इतनी ख़ूबसूरती से निभाती है कि कोई विश्वास ही नहीं कर पाता कि उसे कोई दुख भी हो सकता है। 
पति, बच्चे, सास-ससुर, मायका, रिश्तेदार, प्रेमी, ऑफ़िस, दुनिया क्या उसे इनसे कोई शिकायत नहीं?
आज माँ की ओर से कुछ पंक्तियाँ लिखें।
#माँकेदुख #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
माँ नहीं हूँ
नहीं समझ सकता
माँ के दुख माँ एक औरत के रूप में हर रिश्ता इतनी ख़ूबसूरती से निभाती है कि कोई विश्वास ही नहीं कर पाता कि उसे कोई दुख भी हो सकता है। 
पति, बच्चे, सास-ससुर, मायका, रिश्तेदार, प्रेमी, ऑफ़िस, दुनिया क्या उसे इनसे कोई शिकायत नहीं?
आज माँ की ओर से कुछ पंक्तियाँ लिखें।
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माँ एक औरत के रूप में हर रिश्ता इतनी ख़ूबसूरती से निभाती है कि कोई विश्वास ही नहीं कर पाता कि उसे कोई दुख भी हो सकता है। पति, बच्चे, सास-ससुर, मायका, रिश्तेदार, प्रेमी, ऑफ़िस, दुनिया क्या उसे इनसे कोई शिकायत नहीं? आज माँ की ओर से कुछ पंक्तियाँ लिखें। #माँकेदुख #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi