थोड़ी निगेटिव है। पुरी ही निगेटिव समझ लीजिये। पर अटल सत्य न छुपा है न छुपेगा। अंत समय में जब मनुष्य खुद से लड़ता लड़ता थक जाता है। उसे तब यही कामना होती है। ज़िन्दगी और मौत ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ थक गए ऐ ज़िन्दगी चलते - चलते चाहत अब बस तेरे आगोश में आने की है। महबूब बन जाना तुम मेरी चाहत गोद में सो जाने की है। थक चुके इन दोगले नकाबों को उतारते उतारते चाहत तुझसे वफ़ा निभाने की है। अब नही सहन होता ये जमाने के संग संग भागना चाहत अब स्वार्थी जमाने से परे हट जाने की है। मगर सुन ऐ ज़िन्दगी न तेरे सा कोई और है। चाहत अब तेरे आगोश में सो जाने की है। अब नही वक़्त मुझे जख्म अपने दिखाने का। चाहत अब जख्मों के सिल जाने की है। नही चाहिये वक़्त का दिलासा मुझे अब मुझे बस चाहत तेरे कदमों में बिछ जाने की है। एक गहरी नींद में सदा के लिये सो जाने की है। - नेहा शर्मा #NojotoQuote #bittr#truth