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आहिस्ता आहिस्ता वो पास आई मेरे... झट से उठाई पलके

आहिस्ता आहिस्ता वो पास आई मेरे... 
झट से उठाई पलकें मेरी... 
ख्यावो से किताबी सायरा बन गयी... 
झट से बनाईं उसने गजले मेरी...
कवि करौली
आहिस्ता आहिस्ता वो पास आई मेरे... 
झट से उठाई पलकें मेरी... 
ख्यावो से किताबी सायरा बन गयी... 
झट से बनाईं उसने गजले मेरी...
कवि करौली
kavikarauli7123

Kavi Karauli

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