**नज़र एक बांदी** नज़र एक बांदी सी बँधी इस दुनिया के मायाजाल में, हर रंग में उलझी हुई हर सपने के जाल में। बाधाओं की बेड़ियों में सपनों का बंधन तंग हुआ, देखने की चाह में वो हर बार दबंग हुआ। कभी उम्मीदों की किरणों में चमकती वो दूर दूर तक, कभी निराशा के सायों में सिमटती वो दूर दूर तक। पर वो नज़र फिर भी बांधी रही इस दुनिया की छल-कपट में, ख्वाबों के टुकड़े बटोरती अपनी ही उलझनों की छटपट में। सच की रोशनी से जब वो आजाद होकर आई, तब जाकर उसे एहसास हुआ कि ये दुनिया सिर्फ परछाई। नज़र अब ना बांदी रही वो अब आसमान को देखे, खुद की हकीकत पहचान कर नए सफर की रौशनी खेले। अदिति जैन ©aditi the writer #नजर @it's_ficklymoonlight आगाज़