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शानिवार का दिन शायरी के संग जज़्बातों की इन आँधिय

शानिवार का दिन शायरी के 
संग
जज़्बातों की इन आँधियों मे
 कितने सुलझ जाते तो कितने उलझ जातें हैं
इन हवाओं से कहीँ बिखर जाते हैं  रिश्ते  
तो कहीं  हवाओं से  निखर जातें हैं।।

विमल सागर 
उत्तर प्रदेश

©Vimlesh Gautam
  # आँधियाँ