बोन्साई (पूरी कविता अनुशीर्षक में) एक वृक्ष की डाल को काटा गया ला गमले में उसे लगाया गया नए खाद,पानी से सींचा, संवारा गया नए परिवेश में, वो कुछ कुम्हलाया, फिर अपने को संवारता रहा काटी जाती उसकी डालियाँ कभी कभी नजाकत से काटे जाते जड़ वक़्त के साथ वो फिर भी