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हे कान्हा! तुम ही समर्थ दानी, पूर्ण परम ज्ञानी ह



हे कान्हा! तुम ही समर्थ दानी, पूर्ण परम ज्ञानी हो,
तुम्हारी ही दया की हमको बस एक नजर चाहिए।

हे राधिका के चितचोर स्वामी! हे सर्वेश्वर अंतर्यामी,
तुम्हारे ही मन मंदिर में हमें थोड़ी सी जगह चाहिए।

हे अविनाशी! शंकर वन्दित तुम्हारा प्रेम है अखंडित,
कान्हा! मेरे हृदय में बस तेरा ही अविरल प्रेम चाहिए।

हे सर्वेश्वर! हे सर्वज्ञ! तुम ही तो हो हर वेद के ज्ञाता,
कृपा करो, प्रेम कृष्ण राधा सा जीवन में हमें चाहिए।

हे मेरे प्रियतम! हे परमेश्वर! हे मेरे मनमोहन गिरधारी,
मन के मंदिर में बसाके रखूं ऐसा तेरा विश्वास चाहिए।

हे माधव! हे केशव! मेरे, हे मेरे कुंज बिहारी श्याम।
कान्हा! बस तुम्हारे नाम की लकीर हाथों में चाहिए।

हे करुणामय! हे सुख सागर! हे मेरे पीतांबर धारी,
कान्हा! मेरे नश्वर जीवन में बस तेरी ही भक्ति चाहिए।

हे दाता! हे दानी मेरे! हे मेरे परमात्मन मुरली-मनोहर,
तुझमें खोई रहूं मैं सदा ऐसी स्वर्णिम तकदीर चाहिए।

हे निर्गुण! हे सुघर सलोने! श्याम हमारे प्रिय मनमोहन,
कान्हा! तू मेरा जीवन है, तुझसे जीवन आधार चाहिए।

हे समर्थ शक्तिमान! हे मेरे सुंदर परमवीर जगदीश्वर,
इस जीवन में मुझको तेरे सिवा ना कोई और चाहिए। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1029 #collabwithकोराकाग़ज़

💐💐 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! 💐💐

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।


हे कान्हा! तुम ही समर्थ दानी, पूर्ण परम ज्ञानी हो,
तुम्हारी ही दया की हमको बस एक नजर चाहिए।

हे राधिका के चितचोर स्वामी! हे सर्वेश्वर अंतर्यामी,
तुम्हारे ही मन मंदिर में हमें थोड़ी सी जगह चाहिए।

हे अविनाशी! शंकर वन्दित तुम्हारा प्रेम है अखंडित,
कान्हा! मेरे हृदय में बस तेरा ही अविरल प्रेम चाहिए।

हे सर्वेश्वर! हे सर्वज्ञ! तुम ही तो हो हर वेद के ज्ञाता,
कृपा करो, प्रेम कृष्ण राधा सा जीवन में हमें चाहिए।

हे मेरे प्रियतम! हे परमेश्वर! हे मेरे मनमोहन गिरधारी,
मन के मंदिर में बसाके रखूं ऐसा तेरा विश्वास चाहिए।

हे माधव! हे केशव! मेरे, हे मेरे कुंज बिहारी श्याम।
कान्हा! बस तुम्हारे नाम की लकीर हाथों में चाहिए।

हे करुणामय! हे सुख सागर! हे मेरे पीतांबर धारी,
कान्हा! मेरे नश्वर जीवन में बस तेरी ही भक्ति चाहिए।

हे दाता! हे दानी मेरे! हे मेरे परमात्मन मुरली-मनोहर,
तुझमें खोई रहूं मैं सदा ऐसी स्वर्णिम तकदीर चाहिए।

हे निर्गुण! हे सुघर सलोने! श्याम हमारे प्रिय मनमोहन,
कान्हा! तू मेरा जीवन है, तुझसे जीवन आधार चाहिए।

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इस जीवन में मुझको तेरे सिवा ना कोई और चाहिए। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1029 #collabwithकोराकाग़ज़

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