व़ो कभी क़ैद से निकला हि नहीं इश्क़ में जिसकी भी रिहाई हुई आपको कुछ भी मिला इश्क़ में पर अपनी तो खूब जग हसाई हुई ©साहिर उव़ैस sahir uvaish Sahir uvaish