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दिल चाहता है कुछ लिखूं तुम पर मगर कसमकश में हूं क्

दिल चाहता है कुछ लिखूं तुम पर
मगर कसमकश में हूं क्या लिखूं,

तुम्हारी होटों से छनकर आती बेपरवाह हसी को लिखूं,

या फिर लिखूं
तुम्हारे दिल में कैद उस गम को जिसे तुमने छुपाया है जमाने के नज़रों से,

या लिखूं तुम्हारे सुलझी जुल्फो को जिन्होंने उलझा रखा है कितनो दिलो को,

या फिर लिखूं तुम्हारी आंखों की शरारतों को जो वक़्त बेवक्त करती है इल्तज़ा इश्क़ करने की,

या लिखूं तुम्हारे पैरों की हलचल से बजती उस पायल को जो बनाती है हर कदम पर इक शायरी सी जमी पर,

या लिखूं कोई येसा लफ्ज़ जो बीते कल से तुमको मिला दे,

या फिर लिखूं कोई येंसा ग़ज़ल
जो तुम्हारे आज को सजा दे,

दिल चाहता है कुछ लिखूं तुम पर
मगर कसमकश में हूं क्या लिखूं.... #NOJOTO#POETRY#TITLE#KYA#LIKHU#WRITTEN#BY#ME
दिल चाहता है कुछ लिखूं तुम पर
मगर कसमकश में हूं क्या लिखूं,

तुम्हारी होटों से छनकर आती बेपरवाह हसी को लिखूं,

या फिर लिखूं
तुम्हारे दिल में कैद उस गम को जिसे तुमने छुपाया है जमाने के नज़रों से,

या लिखूं तुम्हारे सुलझी जुल्फो को जिन्होंने उलझा रखा है कितनो दिलो को,

या फिर लिखूं तुम्हारी आंखों की शरारतों को जो वक़्त बेवक्त करती है इल्तज़ा इश्क़ करने की,

या लिखूं तुम्हारे पैरों की हलचल से बजती उस पायल को जो बनाती है हर कदम पर इक शायरी सी जमी पर,

या लिखूं कोई येसा लफ्ज़ जो बीते कल से तुमको मिला दे,

या फिर लिखूं कोई येंसा ग़ज़ल
जो तुम्हारे आज को सजा दे,

दिल चाहता है कुछ लिखूं तुम पर
मगर कसमकश में हूं क्या लिखूं.... #NOJOTO#POETRY#TITLE#KYA#LIKHU#WRITTEN#BY#ME