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बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे, तुझे छोड़ हर चीज वहा

बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे,
तुझे छोड़ हर चीज वहा पाई है ।।
हर दिन की तरह वहा आज भी मेरे रूह की घुटन,
को ठीक हमनेसामने पाई है।।
माँ आज तुम्हारी बहुत याद आई है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती
ये दुनिया तेरे बेटे को कितना सताई है !!
माँ ये कौन-सी दुनिया में खो गई है तू !!
कि अब मेरी आवाज़ तुझ तक नही पहुंच पाई है !!
कसम से माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
दुनिया की भीड़ में एक अकेलापन महसूस करता हूं !!
किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
मैं अब जीता हूं या मरता हूं !!
माँ वापस आजा ना तुझ बिन ये ज़िन्दगी गुजारी नहीं जाती है !!
सच में तुम्हारी आज बहुत याद आई है !!
माँ तेरा प्यार से वो खाना खिलाना याद आता है !!
मेरे घर आने पे तेरा यू जल्दी कुछ खाने को देना
मां आज तेरी बहुत याद आई है 
मां वो बचपन का तेरी गोद में गुजरा ज़माना याद आया है !!
माँ गर ज़रा भी चोट मुझे आती तो तू भी आंसुओ में भीग जाती थी !!
और तकलीफ ज़रा भी होती मुझे तू पूरी रात मेरे पास बैठकर बिताती थी !!
मेरी हर ज़िद के आगे तू हार जाती थी !!
अब क्या हुआ माँ क्यों दूरी तूने मुझसे बनाई है!!
अब तो लौट आ देख मेरी आँख भी भर आयी है !!
अब क्यों मेरा दर्द तू समझ नहीं पाती है !!
सच कह रहा हूं माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
माँ मैं पहले जब भी कही बाहर जाता था !!
तेरी दुआओं का एक साया मेरे साथ कदम बढ़ाता था !!
तेरा हाथ जब मेरे सर पर था मैं हर मुसीबत से बच जाता था !!
अब तो तेरा लाल तन्हा सा हो गया है !!बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे,
तुझे छोड़ हर चीज वहा पाई है ।।
हर दिन की तरह वहा आज भी मेरे रूह की घुटन,
को ठीक हमनेसामने पाई है।।
माँ आज तुम्हारी बहुत याद आई है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती
ये दुनिया तेरे बेटे को कितना सताई है !!
माँ ये कौन-सी दुनिया में खो गई है तू !!
कि अब मेरी आवाज़ तुझ तक नही पहुंच पाई है !!
कसम से माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
दुनिया की भीड़ में एक अकेलापन महसूस करता हूं !!
किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
मैं अब जीता हूं या मरता हूं !!
माँ वापस आजा ना तुझ बिन ये ज़िन्दगी गुजारी नहीं जाती है !!
सच में तुम्हारी आज बहुत याद आई है !!
माँ तेरा प्यार से वो खाना खिलाना याद आता है !!
मेरे घर आने पे तेरा यू जल्दी कुछ खाने को देना
मां आज तेरी बहुत याद आई है 
मां वो बचपन का तेरी गोद में गुजरा ज़माना याद आया है !!
माँ गर ज़रा भी चोट मुझे आती तो तू भी आंसुओ में भीग जाती थी !!
और तकलीफ ज़रा भी होती मुझे तू पूरी रात मेरे पास बैठकर बिताती थी !!
मेरी हर ज़िद के आगे तू हार जाती थी !!
अब क्या हुआ माँ क्यों दूरी तूने मुझसे बनाई है!!
अब तो लौट आ देख मेरी आँख भी भर आयी है !!
अब क्यों मेरा दर्द तू समझ नहीं पाती है !!
सच कह रहा हूं माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
माँ मैं पहले जब भी कही बाहर जाता था !!
तेरी दुआओं का एक साया मेरे साथ कदम बढ़ाता था !!
तेरा हाथ जब मेरे सर पर था मैं हर मुसीबत से बच जाता था !!
अब तो तेरा लाल तन्हा सा हो गया है !!
वो तेरी मोहब्बतो का लम्हा ना जाने कहा खो गया है !!
अब तो हर कदम पे मेरे साथ तन्हाई चलती है !!
मैं भी चुप चाप सा रहता हूँ तेरी ख़ामोशी बहुत खलती है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती है !!
माँ तुम अब लौट आओ ना सच में तुम्हारी बहुत याद आती है!!
मेरे post status pe तेरा गौर करना क्या आज भी देखोगी जो तेरे लिए मैने ये जो सच बताई है ?

©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे,
तुझे छोड़ हर चीज वहा पाई है ।।
हर दिन की तरह वहा आज भी मेरे रूह की घुटन,
को ठीक हमनेसामने पाई है।।
माँ आज तुम्हारी बहुत याद आई है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती
ये दुनिया तेरे बेटे को कितना सताई है !!
माँ ये कौन-सी दुनिया में खो गई है तू !!
बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे,
तुझे छोड़ हर चीज वहा पाई है ।।
हर दिन की तरह वहा आज भी मेरे रूह की घुटन,
को ठीक हमनेसामने पाई है।।
माँ आज तुम्हारी बहुत याद आई है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती
ये दुनिया तेरे बेटे को कितना सताई है !!
माँ ये कौन-सी दुनिया में खो गई है तू !!
कि अब मेरी आवाज़ तुझ तक नही पहुंच पाई है !!
कसम से माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
दुनिया की भीड़ में एक अकेलापन महसूस करता हूं !!
किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
मैं अब जीता हूं या मरता हूं !!
माँ वापस आजा ना तुझ बिन ये ज़िन्दगी गुजारी नहीं जाती है !!
सच में तुम्हारी आज बहुत याद आई है !!
माँ तेरा प्यार से वो खाना खिलाना याद आता है !!
मेरे घर आने पे तेरा यू जल्दी कुछ खाने को देना
मां आज तेरी बहुत याद आई है 
मां वो बचपन का तेरी गोद में गुजरा ज़माना याद आया है !!
माँ गर ज़रा भी चोट मुझे आती तो तू भी आंसुओ में भीग जाती थी !!
और तकलीफ ज़रा भी होती मुझे तू पूरी रात मेरे पास बैठकर बिताती थी !!
मेरी हर ज़िद के आगे तू हार जाती थी !!
अब क्या हुआ माँ क्यों दूरी तूने मुझसे बनाई है!!
अब तो लौट आ देख मेरी आँख भी भर आयी है !!
अब क्यों मेरा दर्द तू समझ नहीं पाती है !!
सच कह रहा हूं माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
माँ मैं पहले जब भी कही बाहर जाता था !!
तेरी दुआओं का एक साया मेरे साथ कदम बढ़ाता था !!
तेरा हाथ जब मेरे सर पर था मैं हर मुसीबत से बच जाता था !!
अब तो तेरा लाल तन्हा सा हो गया है !!बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे,
तुझे छोड़ हर चीज वहा पाई है ।।
हर दिन की तरह वहा आज भी मेरे रूह की घुटन,
को ठीक हमनेसामने पाई है।।
माँ आज तुम्हारी बहुत याद आई है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती
ये दुनिया तेरे बेटे को कितना सताई है !!
माँ ये कौन-सी दुनिया में खो गई है तू !!
कि अब मेरी आवाज़ तुझ तक नही पहुंच पाई है !!
कसम से माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
दुनिया की भीड़ में एक अकेलापन महसूस करता हूं !!
किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
मैं अब जीता हूं या मरता हूं !!
माँ वापस आजा ना तुझ बिन ये ज़िन्दगी गुजारी नहीं जाती है !!
सच में तुम्हारी आज बहुत याद आई है !!
माँ तेरा प्यार से वो खाना खिलाना याद आता है !!
मेरे घर आने पे तेरा यू जल्दी कुछ खाने को देना
मां आज तेरी बहुत याद आई है 
मां वो बचपन का तेरी गोद में गुजरा ज़माना याद आया है !!
माँ गर ज़रा भी चोट मुझे आती तो तू भी आंसुओ में भीग जाती थी !!
और तकलीफ ज़रा भी होती मुझे तू पूरी रात मेरे पास बैठकर बिताती थी !!
मेरी हर ज़िद के आगे तू हार जाती थी !!
अब क्या हुआ माँ क्यों दूरी तूने मुझसे बनाई है!!
अब तो लौट आ देख मेरी आँख भी भर आयी है !!
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सच कह रहा हूं माँ तेरी आज बहुत याद आई है !!
माँ मैं पहले जब भी कही बाहर जाता था !!
तेरी दुआओं का एक साया मेरे साथ कदम बढ़ाता था !!
तेरा हाथ जब मेरे सर पर था मैं हर मुसीबत से बच जाता था !!
अब तो तेरा लाल तन्हा सा हो गया है !!
वो तेरी मोहब्बतो का लम्हा ना जाने कहा खो गया है !!
अब तो हर कदम पे मेरे साथ तन्हाई चलती है !!
मैं भी चुप चाप सा रहता हूँ तेरी ख़ामोशी बहुत खलती है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती है !!
माँ तुम अब लौट आओ ना सच में तुम्हारी बहुत याद आती है!!
मेरे post status pe तेरा गौर करना क्या आज भी देखोगी जो तेरे लिए मैने ये जो सच बताई है ?

©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे,
तुझे छोड़ हर चीज वहा पाई है ।।
हर दिन की तरह वहा आज भी मेरे रूह की घुटन,
को ठीक हमनेसामने पाई है।।
माँ आज तुम्हारी बहुत याद आई है !!
माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती
ये दुनिया तेरे बेटे को कितना सताई है !!
माँ ये कौन-सी दुनिया में खो गई है तू !!

बैठा हु आज तुम्हारे कमरे मे, तुझे छोड़ हर चीज वहा पाई है ।। हर दिन की तरह वहा आज भी मेरे रूह की घुटन, को ठीक हमनेसामने पाई है।। माँ आज तुम्हारी बहुत याद आई है !! माँ तुम बिन मुझे इस घर की अब वीरानगी खाये जाती ये दुनिया तेरे बेटे को कितना सताई है !! माँ ये कौन-सी दुनिया में खो गई है तू !! #Life