उलझन बढ़ रही है उलझन सुलझाओ ज़रा बैचेन है धड़कन तुम पास आओ ज़रा कुछ हरारत तो हो खामोशियों में मेरी उंगलियां फिर मेरी जुल्फों में फिराओ ज़रा वो सौंधी महक जो दुनिया भूला दे मेरी सांसो से अपनी सांसे टकराओ ज़रा तुझसे मुझको मुझसे तुझको जुदा ना करे कोई कुछ इस तरह से मुझ में समाओ ज़रा आमिल bhai ye bhi uljhan h naa 😛😛😛😛😛 Badd rhi hai uljhan suljhaao zra Baichain hai dhadqan tum paas aao zra Kuch hararat to ho khamoshiyo m meri Ungliya fir meri zulfo m firaao zra