#OpenPoetry बड़ी दूर है मोहब्बत मेरी लम्हा-लम्हा कतरा कतरा भरी है एलान-ऐ-जंग सरहदों पे अछा दिल में मोहोब्बत तेरे लिए जारी है आहिस्ता-आहिस्ता नफ़रत घोली बिल्फॉर ये चाल गधी धारी है कौन सा मजहब, कौन सा परचम ये सब राजनीतीक नौटकी अब तक जारी है सरहद की लड़ाई सरहद पे अछि दिल में मोहब्बत तेरे लिए जारी है।। #OpenPoetry