कर्मों का सब खेल है प्यारे कर्मों का सब मेला जैसे कर्म किए हैं तूने वैसा फल ही मिलेगा महल बनाता मजदूर है लेकिन उस में रह नहीं पाता बिना मेहनत के कभी है कोई राजे का रुतबा पाता काम क्रोध और लोभ में फस कर खुद को महान बनाया भूल जाते अहंकार में फंसकर जिसने है खेल रचाया धन, दौलत, द्वेष ,ईर्ष्या यहीं धरे रह जाने खाली हाथ चले जाएंगे कर्मों को संग में बांधे ©Anita Mishra #karama #Mic