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वो मुझकों समझ न पाएं, साथ हमने कुछ समय बिताये। रू

वो मुझकों समझ न पाएं,
साथ हमने कुछ समय बिताये। 
रूठ कर भी न दूर हो पाए,
शायद मुझे वो समझ पाए।

वफ़ा करने को हुए राजी,
बहती जैसे थी हवा ताजी।
चाहतों की अब जो मानी,
साथ होके भी अनजानी।

मुझकों वो समझ न पाए,
मिल लो कभी मिल न पाए।
यादों की तड़पन अकेले में होगी,
ऐसा न हो तुम चुप-चुप रोओगी।

शिक़वा गिले न मुझसे होंगे,
तुम बिन अधूरे लम्हे होंगे।
मिल के कड़वाहट मिटा तो लोगे,
साथ में वक्त हसीन बिता तुम लोगे।

खोके मुझकों ज़िंदगी जी लोगे,
दिल के ज़ख्मों को कैसे भरोगें।
किसी मोड़ में मिल भी जायो,
नजरों से तुम कैसे बचोगे।
वो मुझकों समझ न पाए,
साथ हमने कुछ समय बिताये।
      *लिकेश ठाकुर*




 #NojotoQuote वो मुझकों समझ न पाए
वो मुझकों समझ न पाएं,
साथ हमने कुछ समय बिताये। 
रूठ कर भी न दूर हो पाए,
शायद मुझे वो समझ पाए।

वफ़ा करने को हुए राजी,
बहती जैसे थी हवा ताजी।
वो मुझकों समझ न पाएं,
साथ हमने कुछ समय बिताये। 
रूठ कर भी न दूर हो पाए,
शायद मुझे वो समझ पाए।

वफ़ा करने को हुए राजी,
बहती जैसे थी हवा ताजी।
चाहतों की अब जो मानी,
साथ होके भी अनजानी।

मुझकों वो समझ न पाए,
मिल लो कभी मिल न पाए।
यादों की तड़पन अकेले में होगी,
ऐसा न हो तुम चुप-चुप रोओगी।

शिक़वा गिले न मुझसे होंगे,
तुम बिन अधूरे लम्हे होंगे।
मिल के कड़वाहट मिटा तो लोगे,
साथ में वक्त हसीन बिता तुम लोगे।

खोके मुझकों ज़िंदगी जी लोगे,
दिल के ज़ख्मों को कैसे भरोगें।
किसी मोड़ में मिल भी जायो,
नजरों से तुम कैसे बचोगे।
वो मुझकों समझ न पाए,
साथ हमने कुछ समय बिताये।
      *लिकेश ठाकुर*




 #NojotoQuote वो मुझकों समझ न पाए
वो मुझकों समझ न पाएं,
साथ हमने कुछ समय बिताये। 
रूठ कर भी न दूर हो पाए,
शायद मुझे वो समझ पाए।

वफ़ा करने को हुए राजी,
बहती जैसे थी हवा ताजी।

वो मुझकों समझ न पाए वो मुझकों समझ न पाएं, साथ हमने कुछ समय बिताये। रूठ कर भी न दूर हो पाए, शायद मुझे वो समझ पाए। वफ़ा करने को हुए राजी, बहती जैसे थी हवा ताजी।