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सुनी सुनी सांझ उखड़े से ये दिन क्षण भर की खुशियां,

सुनी सुनी सांझ उखड़े से ये दिन 
क्षण भर की खुशियां, बिछड़ने के वो पल 
नीरव के कलरव का झरना 
प्रतिबिम्ब दिखाने को बैताब हे।
आज फिर हमको मेहबूब छोड़कर जाने को तैयार हैं। बस युही
सुनी सुनी सांझ उखड़े से ये दिन 
क्षण भर की खुशियां, बिछड़ने के वो पल 
नीरव के कलरव का झरना 
प्रतिबिम्ब दिखाने को बैताब हे।
आज फिर हमको मेहबूब छोड़कर जाने को तैयार हैं। बस युही

बस युही