पत्नी जी हाँ अर्धांगनी पूछ रही साजन से कोहरे की नींव पर खोखली इमारत है गृहस्थी शरारत नहीं इबादत है पत्नी हूँ कोई गैर नहीं समस्याएं मुख पर तैर रहीं अब चुप न रहो कुछ तो बोलो सजन हृदय की अर्गलायें खोलो सजन रे झूठ मत बोलो । सजन रे झूठ मत बोलो