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जन्म लेने से लेकर अंतिम दिन चिता पर आने तक के सफ़र

जन्म लेने से लेकर अंतिम दिन चिता पर
आने तक के सफ़र को तय करने में एक 
बिटिया का सारा जीवन जिम्मेदारी के बोझ 
तले ही गुजरता है,बिटिया घर में सबसे छोटी
 हो या बड़ी परिवार में जिम्मेदारी के बोझ 
तले ही रहती है,छोटी उम्र में ही उसको पढ़ाई 
के साथ चूल्हा-चोका संभालने को दे 
दिया जाता है,ये कहकर ब्याह के बाद
दूसरे तुम्हे दूसरे घर यही करना है,
जीना तो वो तभी भूल जाती है जब 
उसको घर की जिम्मेदारी से रूबरू 
कराया जाता है,कहते हैं बेटा बाहर से 
कमा कर लाये तो उस पर परिवार की
जिम्मेदारी होती है,जब एक बिटिया घर 
का घरेलू जिम्मेदारी संभालती है तो उसके 
लिए क्यों नहीं कहा जाता कि बेटियाँ भी
घरेलू-जिम्मेदारी संभालती हैं, ♥️ Challenge-801 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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जन्म लेने से लेकर अंतिम दिन चिता पर
आने तक के सफ़र को तय करने में एक 
बिटिया का सारा जीवन जिम्मेदारी के बोझ 
तले ही गुजरता है,बिटिया घर में सबसे छोटी
 हो या बड़ी परिवार में जिम्मेदारी के बोझ 
तले ही रहती है,छोटी उम्र में ही उसको पढ़ाई 
के साथ चूल्हा-चोका संभालने को दे 
दिया जाता है,ये कहकर ब्याह के बाद
दूसरे तुम्हे दूसरे घर यही करना है,
जीना तो वो तभी भूल जाती है जब 
उसको घर की जिम्मेदारी से रूबरू 
कराया जाता है,कहते हैं बेटा बाहर से 
कमा कर लाये तो उस पर परिवार की
जिम्मेदारी होती है,जब एक बिटिया घर 
का घरेलू जिम्मेदारी संभालती है तो उसके 
लिए क्यों नहीं कहा जाता कि बेटियाँ भी
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