मां के मन और बाप के सपनों को संजोती हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। घर के चाहे रिश्ते हों या नाते रिश्तेदारी मे, घर आँगन की क्यारी मे , जीवन की फुलवारी मे, सारे संबंधो को पिरोती हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। हो ख़ुशी का पल तो गाती हैं मधुर गान, ख़ुश हो जाये मन देख उनकी प्यारी मुस्कान। आँखों को हीं देख जाएँ मन की बात जान, बिन कहे, बिन सुने,लें सारी बातें मान। घर में चाहे कोई हो दुखी, पलकें भिगोतीं हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। घर में माँ का हाथ बटायें, पापा के वे जूते लाएं। रुठे भाई को वे मनाएँ, उससे अपना प्यार जताएं। कभी मां के पैर दबाएँ, कभी बाप का सर सहलाएं। पल में रोयें, पल में रूठें, फिर पल में मान भी जाएँ। समुद्र मंथन में निकले सारे रत्न, जो नहीं निकला वो मोती हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। ©Ganesh Kumar Verma # कितनी अच्छी होती हैं बेटियां।