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आओ श्याम मिल के फिर ख्वाबों के सिरे जोड़ते हैं। मै

आओ श्याम मिल के फिर
ख्वाबों के सिरे जोड़ते हैं।
मैं हूँ तुम्हारी ही राधा
फिर प्रीत चुनरी ओढ़ते हैं।
मीनू पाण्डेय चुनरी
आओ श्याम मिल के फिर
ख्वाबों के सिरे जोड़ते हैं।
मैं हूँ तुम्हारी ही राधा
फिर प्रीत चुनरी ओढ़ते हैं।
मीनू पाण्डेय चुनरी