इस जीवन की ये नैया, अब द्वारे पड़ी है खिवैया, बिन पानी के नाव चले ना, रिम झिम रिम झिम बरसा रे... बैठी रहूँ क्षण उदासी मैं, जनम-जनम की प्यासी मैं, अश्रु जल भी सूख गया अब, नयन भए घन घोर हैं अँधियारे... अँखियाँ तरस गईं बूँदन को कब जागेंगे भाग हमारे ओ बदरा प्यारे। बादल के नाम एक कविता लिखें। #ओबदरा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi