बुझ गया है सूरज, ढल गया चन्द्रमा, टांगूँ कहाँ मैं अब सुखाने को आसमां? छिप गयीं मंज़िलें, खो गया है रास्ता, जाऊँ कहाँ मैं लेकर ये मन का कारवां? ख़ामोशी को मेरीे ऐसे ललकार मत समंदर, तूफ़ान ला तू ख़ुद में फ़िर जज्बे को आजमा। बंट जाते हैं सब रिश्ते, दीवार, छत मग़र, घर के हुए हिस्सों में बंटती नहीं है 'माँ'। दुश्वारियों से लड़कर सँवारी थी जिंदगी, बेवकूफियों में पड़कर टूटा मैं खांमख़ाँ। किस ओर से आ गिरे कब यादों का ज़लज़ला, रखता हूँ बन्द करके ख़्वाबों का मैं मकां। #dearsdare #jindagi #khwab #jaljalaa #samandar #aasman #manjil