तकदिर तो सब का बदलता है लेकिन जख्मी दिल कब बदलेगा लोग तो रोज मिलते है ओ कब मिलेगा जो दिल में रहता है शाम ढले खिड़की तले यूँ तेरा मुस्कूराना दिलको भा गया शाम ढले खिड़की तले