घर बदलते हैं तो सामान बदल देते हैं भरे जो मन कभी, इंसान बदल देते हैं ये कलियुग है, यहाँ कौन किसी का अपना लोग दौलत को देख, ईमान बदल देते हैं परिंदों की तरह मुश्किलें सभी को हैं मगर कुछ रोते हैं कुछ उड़ान बदल देते हैं जरा देरी से सही, इंसाफ तो होगा "साहेब" जो ना बदल सके, भगवान बदल देते हैं ©the untold poetry #Nojoto #Love #shayri #rain dhyan mira k Smile Dr. Sonia shastri Vishal sharma