हाथों में उसका हाथ जरूरी था बिना लिखे जो पढ़ा जाए वो जज्बात जरूरी था आँखों ने आँखों को कितना ही समझा होगा सपनों के शहर में ही सही मगर मुलाकात जरूरी था ✒️नीलेश सिंह पटना विश्वविद्यालय ©Nilesh Singh #ankahi