खुला है आसमा मिली है राहे चाहते है बढ़ीं मुश्किले है घटी उम्मीदे है दिखी फिर भी ना जाने क्यों,सब कुछ समझ से है परे उलझाने है खड़ी हाँ,ना से है लड़ी खुद से है खफ़ा संदेह से है ढँका ©पलभर ka shaayar ❤ खुला है आसमा मिली है राहे चाहते है बढ़ीं मुश्किले है घटी उम्मीदे है दिखी फिर भी ना जाने क्यों,सब कुछ समझ से है परे उलझाने है खड़ी