चाँद का टुकड़ा कब आवोगे ज़िंदगी मे मेरी, ईद लेकर ۔۔۔۔۔۔ ज़माने हो गये "इब्राहिमी" अब तो मुस्कुराए हुवे۔ ......Allahumaa khayr