उसकी डायरी के कुछ फ़टे पन्ने, मुझे हवा में उड़ते हुए मिले थे, कुछ गुलाब बनके महके हुए थे, कुछ काँटो की तरह दिल में चुभे थे। एक पन्ना उसके ज़ख्मों का गवाह था, एक पन्ने में उसका हौंसला बेपनाह था, एक पन्ने में उसने इश्क़ की ख़ातिर, ख़ुद को हारा था, एक पन्ने में उसे इश्क़ ने ही, तिल-तिल कर मारा था। उसकी डायरी के पन्नों में, वीरान जँगल में गुलाब खिले थे, उसकी डायरी के पन्नो में, उदास रात को जुगनू चमकते मिले थे। वो अज़नबी शख्स अब, मेरी दुआओं में शामिल था। जिसकी डायरी के कुछ फ़टे पन्ने, मुझे हवा में उड़ते हुए मिले थे। ©madhav79awana #hindishayari #hindipoetry #lovequotes #zindagi #yqhindishayari #ncr #imotions #yqbaba