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हा घोर  कलयुग आ गया, ये कैसा छलयुग आ गया। नो मही

हा घोर  कलयुग आ गया,

ये कैसा छलयुग आ गया।

नो महीने पेट में पाला जिसने,

जीवन और मौत की परवाह किये बिना,

जिसने जन्म दिया,

एक बीज से , पौधा बना दुनियाँ,

में अस्तित्व जिसका खड़ा किया।

ऐसी जननी देवी को,

काया कल्प शिथिल हो जाने पर,

अनाथाश्रम विदा किया।

जिसने न  कभी अपनी परवाह की,

न भीषण धूप, न कड़कड़ाती ठंड,

तेज बारिश की बौछार ,

सदैव एक मजदूर सा बंध,

श्रम करता रहा घर से बाहर।

ऐसे विश्वकर्मा से पिता के,

कर्ज को भी पड़ लिख बाबू बन,

छोड़ आते है गेरो के हाथों में,

बुढ़ापे को पहाड़ सा एहसास करा बिताने,

ये कलयुग है .....

घोर छलयुग है ,

जहाँ श्रवण कुमार नहीं अब संताने।

जो बैठा चार पहिये वाहन में,

छोड़ आते है अपने ही,

अस्तित्व की वजह को ,

अनाथालय।

बाकी तो क्या होगा इससे बड़ा उदाहरण,

कलयुग का,

क्या  बात करे किसी औऱ विषय की,

इससे बड़ा क्या छल है।

हा बात एक ही काफी है,

इस कलयुग को , छलयुग कहने को।

हा ये कलयुग है घोर छलयुग-----

घर की नींव है बूढ़े माँ  बाप,

निवेदन है इंसानों इन्हें....

अनाथालय के कारावास से मुक्त करो,

बुढ़ापे को इनके लाचारी न बनाओ,

इन्हें घर में ही बसा,

घर को इनके आशीषों से महकने दो,

घर को घर ही रहने दो। #हा घोर कलयुग है#छलयुग है ये
हा घोर  कलयुग आ गया,

ये कैसा छलयुग आ गया।

नो महीने पेट में पाला जिसने,

जीवन और मौत की परवाह किये बिना,

जिसने जन्म दिया,

एक बीज से , पौधा बना दुनियाँ,

में अस्तित्व जिसका खड़ा किया।

ऐसी जननी देवी को,

काया कल्प शिथिल हो जाने पर,

अनाथाश्रम विदा किया।

जिसने न  कभी अपनी परवाह की,

न भीषण धूप, न कड़कड़ाती ठंड,

तेज बारिश की बौछार ,

सदैव एक मजदूर सा बंध,

श्रम करता रहा घर से बाहर।

ऐसे विश्वकर्मा से पिता के,

कर्ज को भी पड़ लिख बाबू बन,

छोड़ आते है गेरो के हाथों में,

बुढ़ापे को पहाड़ सा एहसास करा बिताने,

ये कलयुग है .....

घोर छलयुग है ,

जहाँ श्रवण कुमार नहीं अब संताने।

जो बैठा चार पहिये वाहन में,

छोड़ आते है अपने ही,

अस्तित्व की वजह को ,

अनाथालय।

बाकी तो क्या होगा इससे बड़ा उदाहरण,

कलयुग का,

क्या  बात करे किसी औऱ विषय की,

इससे बड़ा क्या छल है।

हा बात एक ही काफी है,

इस कलयुग को , छलयुग कहने को।

हा ये कलयुग है घोर छलयुग-----

घर की नींव है बूढ़े माँ  बाप,

निवेदन है इंसानों इन्हें....

अनाथालय के कारावास से मुक्त करो,

बुढ़ापे को इनके लाचारी न बनाओ,

इन्हें घर में ही बसा,

घर को इनके आशीषों से महकने दो,

घर को घर ही रहने दो। #हा घोर कलयुग है#छलयुग है ये