मेरे सामने जो स्वस्थ सज्जन बैठे थे, वे कह रहे थे - आपको मालूम है, वह आदमी शराब पीता है?
मैंने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने फिर कहा - वह शराब पीता है।
निंदा में अगर उत्साह न दिखाओ तो करने वालों को जूता-सा लगता है। वे तीन बार बात कह चुके और मैं चुप रहा, तीन जूते उन्हें लग गए। अब मुझे दया आ गई। उनका चेहरा उतर गया था।
मैंने कहा - पीने दो।
वे चकित हुए। बोले - पीने दो, आप कहते हैं पीने दो? #व्यंग्य#rum#मदिरा#हिंदी_साहित्य#oldmonk#सोमरस#हरिशंकर_परसाई