जरूरत तो तुम्हारी मुझे हर वक्त है पर एक वक्त ऐसा आया जहां सबसे ज्यादा मुझे तेरी जरूरत थी.. अकेलेपन का जब एहसास मुझे सता रहा था कोई नहीं था मुझसे मेरे दिल का हाल पूछने वाला तू भी अपने तरफ से मुझे गैर जता रहा था। जब अकेलेपन में मैंने जीना सीख लिया तेरे बिना ही रास्तों पर चलना सीख लिया दुःख दर्द को मैंने पीना सीख लिया तो फिर क्यों तुम्हें मेरी याद सताने लगी मैं जरूरी हूं तुम्हारे लिए अब पहले से ज्यादा क्यूं तुम्हारी ज़ुबान अब ये बताने लगी छोड़ दो मुझे मेरे हाल पर ऐ ज़ालिम तेरे होने से अब सुकून कम दुबारा दर्द सहने का अंजाम अब ज्यादा सताने लगी.. ©Kalpana Srivastava #अंजाम