ख़त्म नही होता तेरा इंतिज़ार, जाने कब सफ़र का अंत होगा। ढूंढ़ लाऊँगा तू कहीं भी होगी, वक़्त कितने भी इंतिहान ले ले। जानता हूँ इंतिज़ार तुम्हे भी है मेरा, मग़र ज़माने को बताने से डरते हो। शाम ढल जाने दो,चाँद भी निकल आएगा, तुम्हें मेरी मुहब्बत का असर भी दिख जाएगा। #मेरेहमसफर