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गुमनाम ज़िन्दगी है सवालों के घेरे में। सुकूँ भी नही

गुमनाम ज़िन्दगी है सवालों के घेरे में।
सुकूँ भी नहीं अब इन साँसों के फेरे में।
जीना मुनासिब लगता नहीं अब यहाँ।
मुस्कुराने की ताक़त भी नहीं अब मेरे में।

हक़ीक़त में सुकूँ के पल हैं कम यहाँ।
जियूँ अब कैसे ऐ मेरे रब तू ही बता।
साज़िशों का दौर ख़त्म होता नहीं कभी।
लोगों की फ़ितरत भी है शक़ के घेरे में।

तन्हाई सुकूँ का एक नया आशियाना है।
मेरी तरह रहता वहाँ अब सारा ज़माना है।
वहाँ रहकर भी तो ख़ुशियाँ हासिल नहीं।
दिल का क़रार खोया है इस नए बसेरे में।

कबतक इस गुमनामी में जियूँ तू ही बता।
ज़िन्दगी जीने की कोई राह तू ही दिखा।
दिल भी अब सारी उम्मीद हार चुका है।
क्या कोई आस मिलेगी अब नए सबेरे में। ♥️ Challenge-810 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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गुमनाम ज़िन्दगी है सवालों के घेरे में।
सुकूँ भी नहीं अब इन साँसों के फेरे में।
जीना मुनासिब लगता नहीं अब यहाँ।
मुस्कुराने की ताक़त भी नहीं अब मेरे में।

हक़ीक़त में सुकूँ के पल हैं कम यहाँ।
जियूँ अब कैसे ऐ मेरे रब तू ही बता।
साज़िशों का दौर ख़त्म होता नहीं कभी।
लोगों की फ़ितरत भी है शक़ के घेरे में।

तन्हाई सुकूँ का एक नया आशियाना है।
मेरी तरह रहता वहाँ अब सारा ज़माना है।
वहाँ रहकर भी तो ख़ुशियाँ हासिल नहीं।
दिल का क़रार खोया है इस नए बसेरे में।

कबतक इस गुमनामी में जियूँ तू ही बता।
ज़िन्दगी जीने की कोई राह तू ही दिखा।
दिल भी अब सारी उम्मीद हार चुका है।
क्या कोई आस मिलेगी अब नए सबेरे में। ♥️ Challenge-810 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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