बेटी बनकर जन्म लिया तो मुझको यह उपहार मिला बोझ कलंक पराया धन, इन शब्दों का गहरा जख्म, बोझ मुझे जब समझा गया, मेरे दिल पर तब घात हुआ बेटी बनकर मैनें जन्म लिया, तो इन शब्दों का मुझे ताज मिला, बोझ कलंक पराया धन, इन शब्दों का है गहरा जख्म। बोझ कलंक पराया धन, इन बाणों का है तीखा जख्म, कलंक मुझे जब समझा गया, दर्द से मेरा तब नाता बना, बेटी बनकर जब मैंने जन्म लिया, तो इन शब्दों का मुझे उपहार मिला, बोझ कलंक पराया धन, इन बाणों का तीखा जख्म। बोझ कलंक पराया धन, इन खंजरों का है दर्द नाक जख्म, पराया धन जब मुझे समझा गया, अपनेपन का तब अस्तित्व मिटा, दिल पर मेरे तब दर्द उठा, बेटी बनकर जब मैंने जन्म लिया, इन शब्दों से मुझें सुसज्जित किया गया, दर्द से मेरा तब गहरा नाता बना, बोझ कलंक पराया धन, इन खंजरों का है दर्द नाक जख्म। ©Meenakshi Sharma बेटी बनकर जब मैंने जन्म लिया