कितना ज़रूरी होता है ख़ुद से प्यार करना.. किसी की जीवनी बनने से पहले, अपनी दास्ताँ ख़ुद लिख जाना.. (अनुशीर्षक में पढ़ें) कितना ज़रूरी होता है ख़ुद से प्यार करना.. किसी और की तकलीफ़ को मिटाने से पहले, भीतरी कोलाहल को बारीकी से समझना.. न जाने कितनी दफ़े अपनी ख़ुशी को नकार कर किसी की मुस्कान बने हो.. अखियों के कोर में समुंदर छुपा,