मिटा दिया उन अंधेंरों को,मैं एक नया सवेरा हूं, बनाया खुद का बसेरा हूं। उजाड़ दिया उन बागों को,मैं एक नया बागान हूं, करता खुद पर अभिमान हूं। भूला दिया उन ख्वाबों को,मैं एक नया एहसास हूं, कभी ना करता अफसोंस हूं। दफ़्ना दिया उन कब्रों को,मैं एक नया कब्रिस्तान हूं, खुद को दफ्न करने को तैयार हूं।। ©Udit Kushwaha #CHANGING