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वो बेहतरीन हो गया जब गया छोड के रहता था तो तब निकल

वो बेहतरीन हो गया जब गया छोड के
रहता था तो तब निकलते थे मुंह मोड के
आवारा नकारा मरता नही है साला
गदगद होते थे कहकर जझबात तोड के

वो मजार देखते माथा टेक जाते हो
शिवालय देख क्यो लोट जाते हो
वो जो जिन्दा है जरा देख लो
क्या दिक्कत है, बस पूछ लो

बूझते दिये को बस तेल चाहिए 
बगैर कपट बचपन वाला खेल चाहिए 
दुःख मे बिना आमंत्रित मेल चाहिए 
जीवित यात्रा स्वर्ग नर्क करादे
अबाधित एक रेल चाहिए 
#Sadharanmanushya #SushantSinghRajput वो बेहतरीन हो गया जब गया छोड के
रहता था तो तब निकलते थे मुंह मोड के
आवारा नकारा मरता नही है साला
गदगद होते थे कहकर जझबात तोड के

वो मजार देखते माथा टेक जाते हो
शिवालय देख क्यो लोट जाते हो
वो जो जिन्दा है जरा देख लो
वो बेहतरीन हो गया जब गया छोड के
रहता था तो तब निकलते थे मुंह मोड के
आवारा नकारा मरता नही है साला
गदगद होते थे कहकर जझबात तोड के

वो मजार देखते माथा टेक जाते हो
शिवालय देख क्यो लोट जाते हो
वो जो जिन्दा है जरा देख लो
क्या दिक्कत है, बस पूछ लो

बूझते दिये को बस तेल चाहिए 
बगैर कपट बचपन वाला खेल चाहिए 
दुःख मे बिना आमंत्रित मेल चाहिए 
जीवित यात्रा स्वर्ग नर्क करादे
अबाधित एक रेल चाहिए 
#Sadharanmanushya #SushantSinghRajput वो बेहतरीन हो गया जब गया छोड के
रहता था तो तब निकलते थे मुंह मोड के
आवारा नकारा मरता नही है साला
गदगद होते थे कहकर जझबात तोड के

वो मजार देखते माथा टेक जाते हो
शिवालय देख क्यो लोट जाते हो
वो जो जिन्दा है जरा देख लो