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आज भी य़ाद आती है ,बचपन में छत पर बितायी, गर्मिय

आज भी य़ाद आती  है ,बचपन में  छत पर बितायी, 
गर्मियों की शामें और रातें ,अजीब से खेल , 
अजीब लगती हैँ वो य़ादें  .......

शाम को पहले छत पर जी भर खेलना,
फिर चारपायीयां लगाना ,चादर विछाना .........
रात को खाना खाकर सोने के लिए छत पर जाना,
 भाई बहनों  से घंटों बतियाना,चादरों पर पानी छिड़कना,
माँ का झिड़कना ........... 

सोने से पहले माँ का रूह- अफजा,वर्फ वाला दूध के गिलास लाना  ,
सारा दूध पी कर गिलास में बचे वर्फ के टुकडों को हिलाना ,
बूंद -बूंद कर उसी वर्फ का चीनी मिला पानी पीना ,
आज भी य़ाद हैं वो ज़िन्दगी,
वो मौज में जीना ............

 
 गर्मियों की शामें,
और छतों पर जा कर टहलना, बतियाना...
#napowrimo में आज छत पर बिताए जाने वाले लम्हों के बारे में लिखें। #छत  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
आज भी य़ाद आती  है ,बचपन में  छत पर बितायी, 
गर्मियों की शामें और रातें ,अजीब से खेल , 
अजीब लगती हैँ वो य़ादें  .......

शाम को पहले छत पर जी भर खेलना,
फिर चारपायीयां लगाना ,चादर विछाना .........
रात को खाना खाकर सोने के लिए छत पर जाना,
 भाई बहनों  से घंटों बतियाना,चादरों पर पानी छिड़कना,
माँ का झिड़कना ........... 

सोने से पहले माँ का रूह- अफजा,वर्फ वाला दूध के गिलास लाना  ,
सारा दूध पी कर गिलास में बचे वर्फ के टुकडों को हिलाना ,
बूंद -बूंद कर उसी वर्फ का चीनी मिला पानी पीना ,
आज भी य़ाद हैं वो ज़िन्दगी,
वो मौज में जीना ............

 
 गर्मियों की शामें,
और छतों पर जा कर टहलना, बतियाना...
#napowrimo में आज छत पर बिताए जाने वाले लम्हों के बारे में लिखें। #छत  #YourQuoteAndMine
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