चले थे मोहब्बत करने (अनुशीर्षक में पढ़ें) हास्य रस चले थे मोहब्बत करने उनकी झील सी आँखों के हम तो बरबस कायल हो गए जानकर कि उन तिरछी निगाहों का निशाना था कोई और, हम तो घायल हो गए लगा हमें कि अपनी मोहब्बत का इज़हार वो हमसे कर ही देगी