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यादों की बंदिशों से रिहा हो कर आया हूँ जो ख्वाब प

 यादों की बंदिशों से
रिहा हो कर आया हूँ
जो ख्वाब पालें थे दरमियां
उन्हें अकेला छोड़ आया हूँ

की अब कोशिश भी न कर
गुजरने की
 नज़र के सामने

ऐसा है,
 चश्मे का पॉवर
बढ़ा कर आया हूँ। मैं और मेरा संदेश...
मैं@वो$सन्देश%(धमकी)#
 यादों की बंदिशों से
रिहा हो कर आया हूँ
जो ख्वाब पालें थे दरमियां
उन्हें अकेला छोड़ आया हूँ

की अब कोशिश भी न कर
गुजरने की
 नज़र के सामने

ऐसा है,
 चश्मे का पॉवर
बढ़ा कर आया हूँ। मैं और मेरा संदेश...
मैं@वो$सन्देश%(धमकी)#
abhisri0950577

abhisri095

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मैं और मेरा संदेश... मैं@वो$सन्देश%(धमकी)#