यादों की बंदिशों से रिहा हो कर आया हूँ जो ख्वाब पालें थे दरमियां उन्हें अकेला छोड़ आया हूँ की अब कोशिश भी न कर गुजरने की नज़र के सामने ऐसा है, चश्मे का पॉवर बढ़ा कर आया हूँ। मैं और मेरा संदेश... मैं@वो$सन्देश%(धमकी)#