Nojoto: Largest Storytelling Platform

इस परीक्षित को बचाओ सृष्टि को फिर से सजाओ, व्यष्ट

इस परीक्षित को बचाओ

सृष्टि को फिर से सजाओ, व्यष्टि को सुन्दर बनाओ
सौंध कर पर्यावरण को, विश्व को नन्दन बनाओ ।

जल हुआ दूषित -प्रदूषित, वायु विष-सरिता बनी है 
ध्वनि-प्रदूषण भी विकारी राग की ही सनसनी है।
बन्द कर ताण्डव प्रलय का, मलय-घ्वनि में गुनगुनाओ
सौंध कर पर्यावरण को, विश्व को नन्दन बनाओ।

धूल-धुआँ-धूसरित जगतीतले पाला पड़ा है
होश में मानव नहीं, बस बन गया चिकना घड़ा है।
मद-नशा काफूर करके, जिन्दगी अनमोल बचाओ
सौंध कर पर्यावरण को विश्व को नन्दन बनाओ।

प्रकृति देवी प्राण-रक्षक, पर बना दी जीव भक्षक
सन्तुलन ऐसा बिगाड़ा, बन गई है वही तक्षक । 
जान की बाजी लगी है, इस परीक्षित को बचाओ
सौंध कर पर्यावरण को विश्व को नन्दन बनाओ।

नगर बदले हैं नरक में, गर्क मे पावन नदी हैं
अश्रुपूरित देवता हैं देवियां भी रो रही हैं
हवन- सामिग्री, दही, घी को न यूँ कूड़ा बनाओ
सौंध कर पर्यावरण को विश्व को नन्दन बनाओ।

वृक्ष, जल, थल, नभ पुकारें, करुण- क्रन्दन कर निहारें 
सांस के उज्ज्वल प्रणेता, देख दुर्गति हैं किनारे।
देव-भूमि भरें न आहें, रक्ष-संस्कृति को मिटाओ 
सौंध कर पर्यावरण को विश्व को नन्दन बनाओ।

श्वेत शतदल की पंखुरियाँ, तोड़ती भौतिक अँगुरियाँ 
क्षीण काया हो गई है, शुष्क लकड़ी सी पसुरियाँ।
तरु बबूलों के रुपाये, वन गुलाबों के उगाओ
सौंध कर पर्यावरण को विश्व को नन्दन बनाओ।

©Sirf Aapka
  #chaand पर्यावरण दिवस पर विशेष।।

#chaand पर्यावरण दिवस पर विशेष।। #Poetry

106 Views