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चाहत दिल की इक तुम ही सनम , तुम्हें जीवनसाथी बनान

चाहत दिल की इक तुम ही सनम , 
तुम्हें जीवनसाथी बनाने का इरादा है!
बिछडेंगे ना कभी जीवन मे हम , 
आज तुमसे करते ये वादा है। 
ये माना मरीज़ ए इश्क़ को ,
ज़माने के सितम मिलते ज्यादा है!
पर कहता "हरि" सुनो बात खरी ,
मेरा मासूम प्यार बड़ा ही सीदासादा है।
कवि हरिश्चन्द्र राय "हरि"
मुम्बई (महाराष्ट्र)

©कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि"
  HI FRIENDS ..... 
GOOD 🌙⏰💤💤NIGHT.