है गुलाबी सुर्ख़ समाँ आपके आ जाने से है बहारें अब यूँ जवाँ आपके आ जाने से गुल खिलें नायाब शराबोर है कलियाँ कलियाँ कोई जादू बिखरा है जाँ आपके आ जाने से हम नशीं हमराह मेरे अंग मेरे ज़र्रा हो हँस दिए हैं मेरे दो-जहाँ आपके आ जाने से था खिंजाँ का डेरा,था ग़मगीन भी मौसम हमदम खिलखिलाता मेरा मकाँ आपके आ जाने से नूर यूँ महताब का चेहरे पे खिला है 'नेहा' हर सू रौनक मेरा निशाँ आपके आ जाने से। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1087 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।