सारी बत्तियां इक साथ चुप करा दो शहर की सारी बत्तियां चुप करा दो एक घंटे के लिए रोशनियां खामोश हो एक घंटा हर रोशनी ज़रा मदहोश हो कोई ख्वाहिश ऐसी भी मासूम न होगी क्या ये मुमकिन नहीं उजाले चुप करा दो शहर की छत पे लोगों का आना अच्छा है कुछ वक्त रोशनी को यूं बचाना अच्छा है बत्तियां धीरे धीरे मद्धम हो रहीं बुझ रहीं तुम भी घरों अपनी रोशनियां चुप करा दो Earth hour (8:30-9:30PM) #earth #earthhour #lights #future #shahbazwrites #passion4pearl #yqtales #yqbaba