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कितना भी गहरा रहा मर्ज़ मेरा, तूने निभाया हर फ़र्ज़ त

कितना भी गहरा रहा मर्ज़ मेरा,
तूने निभाया हर फ़र्ज़ तेरा..!

कैसे उतारूँगा नहीं मालूम,
ऐ हमसफ़र मैं क़र्ज़ तेरा..!

तुझसे क़रीब नहीं कोई साथी मेरा,
मैं दीया हूँ तू है बाती मेरा..!

अनजान हो रहे हैं रिश्ते नाते न जाने क्यों,
फ़िज़ूल परेशां करना नहीं किसी को हर्ज़ मेरा..!

तक़दीर का लिखा मिटा न सकेगा कोई,
जो संग मेरे किया ख़ुदा ने नाम दर्ज़ तेरा..!

©SHIVA KANT #DarkCity #tujhsekareebnhikoi
कितना भी गहरा रहा मर्ज़ मेरा,
तूने निभाया हर फ़र्ज़ तेरा..!

कैसे उतारूँगा नहीं मालूम,
ऐ हमसफ़र मैं क़र्ज़ तेरा..!

तुझसे क़रीब नहीं कोई साथी मेरा,
मैं दीया हूँ तू है बाती मेरा..!

अनजान हो रहे हैं रिश्ते नाते न जाने क्यों,
फ़िज़ूल परेशां करना नहीं किसी को हर्ज़ मेरा..!

तक़दीर का लिखा मिटा न सकेगा कोई,
जो संग मेरे किया ख़ुदा ने नाम दर्ज़ तेरा..!

©SHIVA KANT #DarkCity #tujhsekareebnhikoi