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रात होती नहीं तुम निकलते नहीं। तुम्हारी रौशनी मे

रात होती नहीं तुम निकलते नहीं।


तुम्हारी रौशनी में डूबकर चमकता है 

जमाना 



हजारों ख्वाब न सजते जो 

तुम निकलते  नहीं 


और 


रात में न मिलते ये तार ओ सितारे 

दिलों के 

नींद ही न होती 

ग़र जो तुम निकलते नहीं।।

©SHIVAM TOMAR "सागर" #Moon  Ashutosh Mishra  pramodini Mohapatra  Sethi Ji  Satyaprem Upadhyay
रात होती नहीं तुम निकलते नहीं।


तुम्हारी रौशनी में डूबकर चमकता है 

जमाना 



हजारों ख्वाब न सजते जो 

तुम निकलते  नहीं 


और 


रात में न मिलते ये तार ओ सितारे 

दिलों के 

नींद ही न होती 

ग़र जो तुम निकलते नहीं।।

©SHIVAM TOMAR "सागर" #Moon  Ashutosh Mishra  pramodini Mohapatra  Sethi Ji  Satyaprem Upadhyay