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मालूम था कहीं न कहीं,  मुझे मेरी मोहब्बत का अंजाम,

मालूम था कहीं न कहीं, 
मुझे मेरी मोहब्बत का अंजाम, 
पता था कि जिसे आज खास कह रहे है, 
कल को वो ही अनजान हो जाएगा, 
पर कैसे समझाए इस दिल को, 
ये तो मोहब्बत की राहों पर चलाते हुए, 
हमें बहुत आगे ले आया है ♥️

©Gurleen Kaur
  #लव
gurleenkaur4740

Gurleen Kaur

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लव

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