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#OpenPoetry ए लड़कीओ। जिस्म से जिस्म जरा सोच के म

#OpenPoetry ए लड़कीओ।

जिस्म से जिस्म जरा सोच के मिलाओ 
ए लड़कीओ अपनी आबरू को बचाओ

                            हवाएं चली है बेलजत की जग मे 
                                 ए लड़कीओ अपनी नज़रों को झुकाओ 

सपने दिखाए , झूठी जनत दिखाए 
जनत दिखा के ,वो तुमको मिट्टी बनाएँ ।

                  आग लगी है मिट्टी  के जगमे
                                      ए लड़कीओ अपनी लज्जत  को बचाओ ।

जिस्म से जिस्म जरा सोच के मिलाओ । #OpenPoetry ✍🙏
#OpenPoetry ए लड़कीओ।

जिस्म से जिस्म जरा सोच के मिलाओ 
ए लड़कीओ अपनी आबरू को बचाओ

                            हवाएं चली है बेलजत की जग मे 
                                 ए लड़कीओ अपनी नज़रों को झुकाओ 

सपने दिखाए , झूठी जनत दिखाए 
जनत दिखा के ,वो तुमको मिट्टी बनाएँ ।

                  आग लगी है मिट्टी  के जगमे
                                      ए लड़कीओ अपनी लज्जत  को बचाओ ।

जिस्म से जिस्म जरा सोच के मिलाओ । #OpenPoetry ✍🙏